उप मुख्यमंत्री अरुण साव एस.एन.जी. महाविद्यालय के दीक्षारंभ कार्यक्रम में हुए शामिल….

रायपुर: उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव आज मुंगेली में शासकीय एस.एन.जी. महाविद्यालय में दीक्षारंभ कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने नवप्रवेशित छात्र-छात्राओं का तिलक कर स्वागत किया और बेहतर पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया। विधायक श्री पुन्नूलाल मोहले, कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार, पुलिस अधीक्षक श्री भोजराम पटेल, वनमंडलाधिकारी श्री अभिनव कुमार, गणमान्य नागरिक श्री दीनानाथ केशरवानी और जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष श्री राणा प्रताप सिंह सहित अनेक जनप्रतिनिधिगण भी कार्यक्रम में मौजूद थे।

कॉलेज की मरम्मत और रंगरोगन के लिए 50 लाख देने की घोषणा की

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि मैं यहां उप मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि एक पूर्व छात्र के रूप में उपस्थित हूं। इस महाविद्यालय का मेरे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि 1990 में मैंने इस महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव का संचालन किया था। आज उसी मंच पर वापस आकर अत्यंत गर्व की अनुभूति हो रही है।

कॉलेज की मरम्मत और रंगरोगन के लिए 50 लाख देने की घोषणा की

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने छात्रों को नशे से दूर रहने और बेहतर पढ़ाई करने की सलाह देते हुए कहा कि उनके सपनों के साथ उनके माता-पिता और समाज की अपेक्षाएं जुड़ी होती हैं। उन्होंने निराशा, डिप्रेशन और आलस्य से दूर रहने की अपील की और कहा कि निराशा हमारी सफलता में बाधक है। निराश व्यक्ति कभी सफलता नहीं पा सकता। श्री साव ने कार्यक्रम में महाविद्यालय की मरम्मत और रंगरोगन के लिए 50 लाख रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने अन्य आवश्यकताओं को भी शीघ्र पूर्ण करने का आश्वासन दिया। अपने उद्बोधन में उन्होंने पूर्व प्राचार्य श्री बी.एम. मिश्रा और प्राध्यापक श्री अशोक गुप्ता का भावपूर्ण स्मरण किया।

कॉलेज की मरम्मत और रंगरोगन के लिए 50 लाख देने की घोषणा की
विधायक श्री पुन्नूलाल मोहले ने दीक्षारंभ कार्यक्रम में कहा कि वे भी इस महाविद्यालय के छात्र रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आप मेहनत से पढ़ाई करें और योग्य पदों पर चयनित होकर महाविद्यालय, अपने शहर और माता-पिता का नाम रोशन करें। महाविद्यालय की ओर से जनभागीदारी अध्यक्ष श्री राणा प्रताप सिंह एवं प्राचार्य डॉ. रजत दवे द्वारा उप मुख्यमंत्री श्री साव को उनके 1990 के वार्षिक स्नेह सम्मेलन का संचालन करते हुए खींची गई दुर्लभ तस्वीर को फ्रेम कर स्मृति चिह्न के रूप में भेंट किया गया।

 

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