नई रोशनी की ओर: कोंटा विकासखंड का मेटागुड़ा गांव बना उम्मीद की नई मिसाल….

रायपुर: माओवाद प्रभावित सुदूर बस्तर अंचल का वह इलाका, जहां कभी सूरज ढलने के साथ ही घुप्प अंधेरा छा जाता था—अब वहां बिजली की रौशनी ने दस्तक दे दी है। जिला सुकमा के कोंटा विकासखंड अंतर्गत स्थित मेटागुड़ा में 27 जुलाई 2025 को जब पहली बार बिजली का बल्ब जला, तो यह सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह उस उजाले की शुरुआत थी, जो दशकों से विकास की प्रतीक्षा में खड़े लोगों के जीवन में उम्मीद की नई किरण बनकर आई है।

कैम्प बना विकास का प्रवेश द्वार
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित नियद नेल्ला नार योजना के तहत 29 दिसंबर 2024 को मेटागुड़ा में सुरक्षा कैम्प की स्थापना हुई थी। इस सुरक्षा कैम्प ने न सिर्फ सुरक्षा का घेरा बनाया, बल्कि शासन और जनता के बीच की दूरी को भी कम किया। आज उसी कैम्प की बदौलत मेटागुड़ा और आसपास के गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पानी, संचार और अब बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचने लगी हैं।

नई रोशनी की ओर कोंटा इलाके का  मेटागुड़ा गांव

बिजली नहीं, विश्वास पहुंचा है
बिजली आने से मेटागुड़ा और आसपास के ग्रामीणों में उत्सव जैसा माहौल है। जिन घरों में अब तक दीपक की लौ ही रोशनी का एकमात्र साधन थी, वहां अब बल्ब जल रहे हैं। बच्चों की आंखों में पढ़ाई के नए सपने हैं और बुजुर्गों के चेहरे पर सुकून की रेखाएं।

 संवेदनशील क्षेत्र में कठिन रहा कार्य, लेकिन मिला सहयोग
इस उपलब्धि के पीछे जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और सीआरपीएफ 131वीं वाहिनी की संयुक्त मेहनत रही। इस कार्य को सफल बनाने में पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज श्री सुंदरराज पी., पुलिस उप महानिरीक्षक दंतेवाड़ा श्री कमलोचन कश्यप, उप महानिरीक्षक (परि.) सीआरपीएफ श्री आनंद सिंह राजपुरोहित, कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव, पुलिस अधीक्षक श्री किरण चव्हाण, कमांडेंट सीआरपीएफ श्री दीपक कुमार साहू एवं द्वितीय कमान अधिकारी श्री मौली मोहन कुमार जैसे अधिकारियों का मार्गदर्शन और समन्वय रहा।

नियद नेल्ला नार योजना से बदली माओवाद प्रभावित क्षेत्र की तस्वीर

रोशनी के साथ आएंगे अवसर
बिजली सुविधा से अब ग्रामीणों को न केवल रोशनी मिलेगी, बल्कि बच्चों की पढ़ाई, सिंचाई, मोबाइल चार्जिंग, टेलीविजन, रेडियो जैसे संचार एवं मनोरंजन के साधनों तक भी आसान पहुंच होगी। सबसे बड़ी बात यह कि यह सुविधा ग्रामीणों को यह एहसास कराएगी कि शासन उनके साथ है और उनका भविष्य उज्जवल है।

 उजाले की यह शुरुआत, विकास की लंबी यात्रा की पहली सीढ़ी
मेटागुड़ा में बिजली आना सिर्फ एक गांव का विकास नहीं है, यह प्रतीक है उस सोच का, जिसमें बस्तर के अंतिम छोर तक शासन की योजनाओं को पहुंचाने की प्रतिबद्धता है। “नियद नेल्ला नार” योजना का यह सफल उदाहरण आने वाले समय में अन्य दूरस्थ और अति संवेदनशील क्षेत्रों के लिए प्रेरणा बनेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button