CG NEWS: हाई कोर्ट का फैसला, अविवाहित दत्तक पुत्री की संपत्ति पर दत्तक पिता को नहीं है कानूनी अधिकार, याचिका हुई खारिज…

बिलासपुर। अविवाहित पुत्री जिसकी मृत्यु हो गई है, उसकी संपत्ति पर अधिकार प्राप्त करने के लिए दत्तक पिता द्वारा दायर की गई याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि दत्तक पिता को अविवाहित पुत्री की संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं बनाया जा सकता।

सिंगल ने कहा कि दत्तक पुत्री के दस्तावेजों कें नामिनी होने के आधार पर ही उसे उत्तराधिकारी नहीं माना जा सकता है और ना ही यह पर्याप्त है। कोर्ट ने कहा कि दत्तक पिता अविवाहित पुत्री की बैंक, बीमा या अन्य चल अचल संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं हो सकता। खितिभूषण पटेल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दायर याचिका के अनुसार उसने अपनी भतीजी ज्योति पटेल को दत्तक पुत्री के रूप में गोद लिया था।

ज्योति के पिता और याचिकाकर्ता के भाई पंचराम पटेल पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर पदस्थ थे। सेवाकाल के दौरान ही वर्ष 1999 में उनका निधन हो गया था। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी भाई व ज्योति की मां उसे बचपन में ही छोड़कर अपने मायके चली गई थी। ज्योति बिना मां के हो गई थी। पिता की मृत्यु के बाद ज्योति अपने दादा के संरक्षण में रही।

कुछ दिनों बाद उसने उसे गोद ले लिया और अपने साथ रख लिया। उसकी पढ़ाई लिखाई सहित अन्य जरुरतों को वह पिता की तरह निभाते रहा। पढ़ाई के बाद ज्योति को पिता की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति मिल गई। सेवाकाल के दौरान ही 17 सितंबर 2014 को अविवाहित अवस्था में ज्योति की मृत्यु हो गई। ज्योति की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता ने उसके बीमा, बैंक खाता और जमा राशि प्राप्त करने सिविल कोर्ट में उत्तराधिकार वाद प्रस्तुत किया।

मामले की सुनवाई के बाद सिविल कोर्ट ने उत्तराधिकार को नकारते हुए वाद को खारिज कर दिया। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि बीमा या बैंक खाते में दत्तक पुत्री ने भले ही दत्तक पिता को नामांकित किया गया हो, लेकिन संपत्ति का अंतिम वितरण उत्तराधिकार कानून के अनुसार ही होगा। कोर्ट ने साफ कहा कि नामित व्यक्ति या नामिनी उस राशि को अस्थायी तौर पर प्राप्त कर सकता है, वास्तविक हकदार उत्तराधिकारी ही होंगे। इस टिप्पणी के साथ निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button