प्रोफेसर जयंत नार्लीकर नहीं रहें, पूरे वैज्ञानिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति

रायपुर
आज की सुबह एक दुखद खबर लेकर आई है। प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक पदम् विभूषण जयंत विष्णु नार्लीकर हमारे बीच नहीं रहे। आज भोर में उनका सोते सोते निधन का दुःख भरा समाचार प्राप्त हुआ है।ज्ञात हो कि प्रोफेसर जयंत नार्लीकर कई बार छत्तीसगढ़ आए हैं और यहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों के अलावा आम लोगों से भी सीधे संवाद किया है। उनकी गणितज्ञ पत्नी मंगला नार्लीकर के साथ उन्होंने रायपुर से लेकर धमतरी, कांकेर जगदलपुर बस्तर से दूरदराज स्थित दरभा घाटी के स्कूल तक में बच्चों से वैज्ञानिक सोच और खगोल विज्ञान पढ़ने की जरूरत पर बातचीत की थी। रायपुर और भिलाई में जब उनका लेक्चर हुआ था तो हाल में खड़े होने के लिए भी जगह नहीं थी और लोग खिड़कियों से सटकर उनका व्याख्यान सुन रहे थे। उनसे प्रश्न पूछने के लिए होड़ लगी हुई थी। छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सम्माननीय सदस्यों को उनके इन सात दिवसीय दौरे में उनका अच्छा सानिध्य मिला था।
उन्होंने आम जनमानस से अंधश्रद्धा मिटाने के लिए अपनी आवाज उठाई, विश्वविद्यालयों में ज्योतिष पढ़ाए जाने का खुलकर विरोध किया और महाराष्ट में काला जादू विरोधी कानून बनाने के लिए संघर्षों की अगुवाई की।
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा उनके दुःखद निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देती है।
आज 20 मई 2025 की शाम सात बजे प्रोफेसर जयंत नार्लीकर को श्रद्धांजलि देने के लिए छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की जा रही है जिसमें पीआरएसयू के पूर्व कुलपति और खगोलभौतिकविद प्रोफेसर एस के पाण्डेय, प्रसिद्ध टेक्सोनॉमिस्ट प्रो एम एल नायक, आल इंडिया पीपुल साइंस मूवमेंट के कोषाध्यक्ष डॉ एस आर आजाद सहित कई शिक्षाविदों और वैज्ञानिक सोच के लिए काम करने वाले साथियों द्वारा अपने विचार व्यक्त किए जाएंगे।