Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • MP Info RSS Feed
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Aj Ki News
    • Home
    • देश
    • विदेश
    • राज्य
    • मध्यप्रदेश
      • मध्यप्रदेश जनसंपर्क
    • छत्तीसगढ़
      • छत्तीसगढ़ जनसंपर्क
    • राजनीती
    • धर्म
    • अन्य खबरें
      • मनोरंजन
      • खेल
      • तकनीकी
      • व्यापार
      • करियर
      • लाइफ स्टाइल
    Aj Ki News
    Home»Breaking News»पुरी रथ यात्रा: भगवान जगन्नाथ भाई-बहन के साथ पहुंचे गुंडिचा मंदिर, 9 दिन मौसी के घर करेंगे आराम
    Breaking News

    पुरी रथ यात्रा: भगवान जगन्नाथ भाई-बहन के साथ पहुंचे गुंडिचा मंदिर, 9 दिन मौसी के घर करेंगे आराम

    News DeskBy News DeskJune 28, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp Email Telegram Copy Link
    पुरी रथ यात्रा: भगवान जगन्नाथ भाई-बहन के साथ पहुंचे गुंडिचा मंदिर, 9 दिन मौसी के घर करेंगे आराम
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Pinterest Email

    पुरी। ओडिशा के पुरी में सालाना जगन्नाथ यात्रा का शनिवार को दूसरा दिन है। आज सुबह 10 बजे फिर रथयात्रा शुरू हुई। भक्तों ने तीनों रथों को खींचना शुरू किया। सुबह 11.20 बजे भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज और दोपहर 12.20 बजे देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और इनके बाद भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 1.11 बजे गुंडिचा मंदिर पहुंच गया है। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन 9 दिन यहीं आराम करेंगे। तीनों रथ अब मंदिर के सामने सारदा बाली में खड़े कर दिए गए हैं।

    हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर विशाल रथ यात्रा निकाली जाती है, फिर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष 10वीं तिथि पर इसका समापन होता है। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र संग साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। इस रथ यात्रा में तीन अलग-अलग रथ हैं, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलराम हैं।

    सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा, फिर देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ मंदिर पहुंचा। वार्षिक रथ यात्रा के दौरान, तीनों देवता जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से एक औपचारिक जुलूस के माध्यम से गुंडिचा मंदिर की बहुप्रतीक्षित यात्रा के लिए निकलते हैं।

    भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों का अडापा मंडप बिजे अनुष्ठान कल पुरी गुंडिचा मंदिर (मौसीमा मंदिर) में आयोजित किया जाएगा। रथ यात्रा के एक दिन बाद, तीनों भाई देवता भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा गुंडिचा मंदिर के गर्भगृह के अंदर अदपा मंडप में प्रवेश करेंगे।

    अनुष्ठानों के अनुसार, पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद सबसे पहले रामकृष्ण और मदनमोहन मंदिर में प्रवेश करेंगे। इसके बाद चक्रराज सुदर्शन का प्रवेश होगा। भगवान बलभद्र को पहांडी बिजे में मंदिर के अंदर ले जाया जाएगा। फिर देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ मंदिर में भव्य प्रवेश करेंगे। इस दौरान, भक्त मंदिर में तैयार किए गए विशेष प्रसाद ‘अदपा अभादा’ का आनंद ले सकते हैं।

    कैसे बनी रानी गुंडीचा भगवान जगन्नाथ की मौसी?

    जगन्नाथ पंथ के अनुसार, गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों का मौसी का घर माना जाता है, जहां वे सालाना नौ दिनों के प्रवास पर जाते हैं। यह मंदिर भगवान की मौसी यानी देवी गुंडिचा का निवास स्थान माना जाता है। लेकिन सवाल है कि रानी गुंडीचा आखिर भगवान जगन्नाथ की मौसी कैसे बनीं और इनका क्या संबंध है।

    प्राण-प्रतिष्ठा कौन करेगा?

    सदियों पहले की बात है, जब उत्कल क्षेत्र के राजा इंद्रद्युम्न और रानी गुंडिचा ने भगवान नीलमाधव के लिए एक भव्य मंदिर बनवा तो लिया, लेकिन मंदिर बनने के बाद एक सवाल खड़ा हुआ कि प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा कौन करेगा? इस पर विचार होने लगा इसके लिए योग्य ब्राह्मण कौन होगा? इधर नारद की जब यह बात पता चली तो वह उत्कल पहुंच तो राजा ने देवर्षि नारद से यह कार्य करने को कहा, लेकिन नारदजी ने कहा कि यह काम स्वयं ब्रह्माजी को करना चाहिए।

    नारद जी ने दिया सुझाव

    ऐसे में नारद जी ने राजा से ब्रह्मलोक चलने को कहा लेकिन चेताया भी कि ब्रह्मलोक जाकर लौटने तक धरती पर कई सौ साल बीत चुके होंगे, जब आप लौटेंगे तो सबकुछ बदल चुका होगा इसलिए आप परिवार से आखिरी बार मिल लीजिए। यह सुन रानी गुंडिचा और राजपरिवार परेशान हो गए। लेकिन राजा ने सब कुछ त्यागने का फैसला किया पर एक बात उन्हें परेशान कर रही थी कि श्रीमंदिर की स्थापना नहीं हुई जब वे लौटेंगे तो न जाने यह मंदिर किस हाल में हो जाए। इस चिंता को नारद जी भांप गए और उन्होंने राजा को एक उपाय सुझाया कि चलने से पहले राज्य में 100 कुए, जलाशय और यात्रियों के लिए सराय बनवा दें। साथ ही 100 यज्ञ करवाकर पुरी के इस क्षेत्र को पवित्र मंत्रों से बांध दें, इससे राज्य की कीर्ति भी रहेगी और वह सुरक्षित भी रहेगा।

    रानी ने लिया प्रण

    राजा ने सारे कार्य करवा लिए फिर चलने को तैयार हुए तब रानी गुंडिचा ने भी व्रत और तप करने का प्रण लिया। रानी ने कहा कि जब तक आप लौट नहीं आते मैं भी प्राणायाम के जरिए समाधि में रहूंगी और तप करूंगी। विद्यापति और ललिता ने रानी की सेवा करने की बात कही। राजा ने विद्यापति को राज्य संभालने को कहा लेकिन उन्होंने राजगद्दी पर बैठने से मना कर रही और कहा मैं रानी मां की सेवा करते हुए राज्य की देखभाल करूंगा।

    राजा धरती पर लौटे

    इसके बाद राजा नारदजी के साथ ब्रह्मलोक चले गए। वहां ब्रह्माजी को साथ लाने में उन्हें बहुत समय लग गया, कई सदियां बीच चुकीं थीं। जब वे धरती पर लौटे, तो न समय वैसा रहा, न लोग। पुरी अब बदल चुका था। राजा के परिजनों की भी मृत्यु हो चुकी थी और पीढ़ियों में भी कोई नहीं बचा था। इसी दौरान पुराने मंदिर पर रेत जम चुकी थी और उस जगह अब राजा गालु माधव का शासन था। संयोग से उसी समय एक समुद्री तूफान आया, जिससे मंदिर की रेत हट गई और पुराना मंदिर फिर से दिखाई देने लगा।

    हनुमान जी ने सुलझवाया विवाद

    तब गालु माधव ने खुदाई शुरू कराई। जैसे ही खुदाई शुरू हुई, राजा इंद्रद्युम्न भी लौट आए। विवाद हुआ कि असली मंदिर किसका है। ऐसे में इस विवाद को खत्म करने संत के रूप धारण कर हनुमान जी आए और यह विवाद सुलझाया। उन्होंने कहा कि अगर राजा सच कह रहे हों ते इन्हें मंदिर के गर्भगृह का द्वार खोजने को कहो। इसके बाद राजा इंद्रद्युम्न ने गर्भगृह का मार्ग दिखा दिया, जो किसी और को नहीं मालूम था।

    रानी गुंडिचा को हुआ एहसास

    उधर, समाधि में लीन रानी गुंडिचा को अपने पति की वापसी का एहसास हुआ और वह समाधि से बाहर आईं। तो उनके सामने एक युवा दंपत्ति हाथ जोड़े खड़े मिले। रानी गुंडिचा ने उनसे कहा कि तुम विद्यापति और ललिता के बेटे-बहु हो, इस पर उन्होंने कहा कि वो हमारे पूर्वज थे हम आपको माई मानकर पूजा करते आ रहे हैं। आप हमारे लिए देवी हैं। इस पर रानी ने कहा कि मैं कोई देवी नहीं हूं, लेकिन तुम्हारी पूर्वज जरूर हूं। तुम मुझे सागर तट पर श्रीमंदिर ले चलो। इसके बाद वह दंपत्ति के साथ जब मंदिर पहुंचीं तो सालों बाद राजा से उनका पुनर्मिलन हुआ। अब सभी को सच्चाई समझ आ चुकी थी। राजा के बनवाए 100 कुएं और यात्रियों के लिए बनी सरायों के अवशेष भी मिले। इसके बाद राजा गालु माधव ने खुद को भगवान और राजा इंद्रद्युम्न की शरण में दे दिया।

    राजा ने मांगे वरदान

    स्वयं ब्रह्माजी ने मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा राजा और रानी के हाथों करवाई। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा प्रकट हुए और राजा को आशीर्वाद दिया और वरदान मांगने को कहा। राजा ने वरदान मांगे कि मंदिर बनाने में जुड़े सभी श्रमिकों, सेवकों और पुजारियों को सदा भगवान की सेवा मिलती रहे। साथ ही वरदान यह भी कहा कि जब भी आपकी कथा कही जाए तो आपके भक्त विश्ववसु, मेरे भाई विद्यापति और उसकी पत्नी ललिता का नाम जरूर लिया जाए। फिर भगवान ने कहा और मांगो, इस पर राजा ने कहा इस कार्य के लिए मेरा साथ देने वाली रानी गुंडिचा ने मातृत्व सुख त्याग दिया, उसे भी आप अपने चरणों में स्थान दें।

    ऐसे रानी गुंडिचा बनीं मौसी

    तब भगवान ने रानी गुंडिचा की ओर मुड़कर कहा कि आपने तो मेरी मां की तरह प्रतीक्षा की है आप मेरी माता जैसी हैं मां जैसी गुंडिचा देवी इसलिए आज से आप मेरी “मौसी गुंडिचा देवी” हैं। मैं साल में एक बार आपसे मिलने जरूर आऊंगा। जिस स्थान पर रानी ने तपस्या की थी, वही अब “गुंडिचा धाम” कहलाएगा। इसे देवी पीठ के तौर पर मान्यता मिलेगी।

    भगवान ने आगे कहा कि पुरी के हर राजा को रथयात्रा के मार्ग को सोने के झाड़ू से बुहारने का सौभाग्य मिलेगा। इसी परंपरा को ‘छेरा पहरा’ कहा जाता है। आज भी पुरी के राजा ये सेवा निभाते हैं।

    पुरी के जगन्नाथ मंदिर में आज भी मंदिर के निर्माण और सेवा कार्यों में श्रमिकों और कारीगरों के वंशज भी शामिल रहते हैं। भगवान की मूर्तियों का निर्माण भी इन्हीं परिवारों द्वारा किया जाता है। गुंडिचा धाम अब शक्ति पीठ के समान मान्यता प्राप्त स्थान बन चुका है, और भगवान जगन्नाथ हर साल अपनी मौसी गुंडिचा के घर जरूर जाते हैं। इसी परंपरा को आज रथ यात्रा के नाम से हम सभी बड़े श्रद्धा और प्रेम से मनाते हैं।

    News Desk

    Related Posts

    रायपुर : छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री रमेश सिन्हा ने नेशनल लोक अदालत के तहत सुनवाई का लिया जायजा

    September 14, 2025

    रायपुर : विशेष लेख :महतारियों के सशक्तिकरण में छत्तीसगढ़ सरकार ने कायम की मिसाल

    September 13, 2025

    रायपुर : महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने अंबिकापुर में की विभागीय समीक्षा बैठक

    September 13, 2025

    रायपुर : पुस्तकों की छपाई से लेकर परिवहन तक एक ही टेंडर के माध्यम हो: शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव

    September 12, 2025

    रायपुर : महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती राजवाड़े सरगुजा संभाग के दौरे पर

    September 12, 2025

    रायपुर : कृत्रिम पैर मिलने से दिव्यांगों को मिली जीने की नई राह

    September 11, 2025
    Advertisement Carousel
    × Popup Image
    विज्ञापन
    हमसे जुड़ें
    • Facebook
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram
    • YouTube
    • Vimeo
    अन्य ख़बरें

    मनेंद्रगढ़, जशपुर समेत छत्तीसगढ़ में 6 नए फिजियोथेरेपी महाविद्यालयों के निर्माण को मिली प्रशासकीय स्वीकृति

    September 15, 2025

    रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से हार्टफुलनेस संस्थान के डायरेक्टर श्री चावला ने की सौजन्य भेंट

    September 15, 2025

    रायपुर : युद्ध तथा सैनिक कार्यवाही में शहीद सैनिकों के आश्रितों को मिलेगी 50 लाख की अनुग्रह राशि

    September 15, 2025

    रायपुर : दूरदर्शन ने समाज को वैचारिक रूप से समृद्ध करने और संस्कारों को संवारने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

    September 15, 2025
    हमारे बारे में

    यह एक हिंदी वेब न्यूज़ पोर्टल है जिसमें ब्रेकिंग न्यूज़ के अलावा राजनीति, प्रशासन, ट्रेंडिंग न्यूज, बॉलीवुड, खेल जगत, लाइफस्टाइल, बिजनेस, सेहत, ब्यूटी, रोजगार तथा टेक्नोलॉजी से संबंधित खबरें पोस्ट की जाती है।

    Disclaimer - समाचार से सम्बंधित किसी भी तरह के विवाद के लिए साइट के कुछ तत्वों में उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत सामग्री ( समाचार / फोटो / विडियो आदि ) शामिल होगी स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक इस तरह के सामग्रियों के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं स्वीकार करता है। न्यूज़ पोर्टल में प्रकाशित ऐसी सामग्री के लिए संवाददाता / खबर देने वाला स्वयं जिम्मेदार होगा, स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी. सभी विवादों का न्यायक्षेत्र रायपुर होगा

    हमसे सम्पर्क करें
    Ajkinews Office
    Ajkinews Office
    Chief Editor :- Asha Nirmal
    For Advertising Call :- 7489887346
    WhatsApp :- 9753054476
    Email ID :- [[email protected]]
    Address :-
    Shop No 12, Mathpara Pujari Vatika, New Bus Stand Road, Raipur-492001, Raipur, Chhattisgarh

    September 2025
    M T W T F S S
    1234567
    891011121314
    15161718192021
    22232425262728
    2930  
    « Aug    
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • MP Info RSS Feed
    © 2025 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.