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    मध्यप्रदेश

    प्रदेश की धरती उगलेगी बेशकीमती खनिज, खोज जारी

    News DeskBy News DeskJanuary 13, 2025No Comments3 Mins Read
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    प्रदेश की धरती उगलेगी बेशकीमती खनिज, खोज जारी
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    भोपाल । जल्द ही मप्र का नाम देश के ही नहीं बल्कि विदेशों की उन जगहों में शामिल हो सकता है, जहां पर दुर्लभ खनिज पाए जाते हैं।  इसके लिए मप्र में अब खोज शुरू हो गई है। प्रारंभिक रूप से ऐसी चार जगहों को चिन्हित कर खोज का काम शुरु कर दिया गया है। इसमें अगर सफलता मिलती है , तो भारत की निर्भरता चीन  और म्यांमार जैसे देशों पर बहुत हद तक समाप्त हो जाएगी। यही वजह है कि प्रदेश की मोहन सरकार का इस मामले में फोकस बना हुआ है। इसके लिए भोपाल में 17 अक्टूबर से दो दिवसीय माइनिंग कॉन्क्लेव भी की जा चुकी है। माइनिंग कॉन्क्लेव में करीब 600 उद्योगपति और निवेशक शामिल हुए थे। इसका आयोजन केन्द्रीय खान मंत्रालय भारत सरकार की मदद से किया गया था। इस माइनिंग कॉन्क्लेव में खनिजों की खोज और खनन बढ़ाने पर चर्चा की गई थी। दरअसल, खनन और खनिज के मामले में मध्य प्रदेश, झारखंड की बराबरी पर आना चाहता है। खनन और खनिज आधारित उद्योगों में झारखंड को सबसे ज्यादा कमाई होती है। आंकड़ों के मुताबिक झारखंड सालाना 13 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाता है। मध्य प्रदेश भी झारखंड की बराबरी पर आने के लिए बेताब है। प्रदेश में जिन  दुर्लभ खनिजों की खोज की जा रही है, उनका उपयोग रक्षा, अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में बड़ी मात्रा में किया जाता है।
    फिलहाल इनकी खोज चार ब्लाकों में की जा रही है। माना जा रहा है कि इस वर्ष यह खोज का काम पूरा हो जाएगा। फिलहाल इस तरह के खनिज  सर्वाधिक चीन में पाए जाते हैं। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे के अनुसार, 2023 में दुनिया के कुल दुर्लभ खनिज उत्पादन में म्यांमार का हिस्सा 11 प्रतिशत था। चीन का हिस्सा 68 प्रतिशत और अमेरिका का 12 प्रतिशत हिस्सा है।  इस मामले में अभी भारत की हिस्सेदारी नाम मात्र की है। इन दुर्लभ खनिजों में 17 धातु तत्व आते हैं। जिसमें  असामान्य लोरोसेंट, चालक और चुंबकीय गुण होते हैं, जो अन्य सामान्य धातुओं के साथ छोटी मात्रा में भी मिलाने पर बहुत उपयोगी बना देते हैं इसलिए हाइटेक उपकरणों, लेजर आदि में इस्तेमाल होता है। दुर्लभ धातुएं इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह अन्य धातुओं के साथ बहुत कम मात्रा में पृथ्वी के अंदर बहुत गहराई पर पायी जाती हैं।  ऐसे में खोजने-निकालने में खास तकनीक की जरूरत होती है। इन तत्वों में एट्रियम, लैंथेनम, सेरियम, प्रेसियोडिमियम, नियोडिमियम, प्रोमेथियम, समैरियम, यूरोपियम, गैडोलीनियम, टर्बियम, स्कैंडियम, डिस्प्रोसियम, होल्मियम, एर्बियम, थ्यूलियम, येटरबियम, ल्यूटेटियम आदि शामिल हैं।

    खनिज नीति के क्रियान्वयन में प्रदेश आगे
    केंद्र सरकार ने वर्ष 2024 में एक्सप्लोरेशन नीति लागू की है। इस नीति के तहत मध्यप्रदेश द्वारा क्रिटिकल मिनरल के दो ब्लॉक नीलामी में रखे गए हैं। मप्र केंद्र की इस नीति का क्रियान्वयन करने वाला पहला राज्य बन गया है। प्रदेश में स्ट्रेटेजिक एवं क्रिटिकल मिनरल, मुख्यत: रॉक-फास्फेट, ग्रेफाइट, ग्लूकोनाइट, प्लेटिनम एवं रेयर अर्थ एलीमेंट (आरईई) की खोजबीन का काम किया जा रहा है। प्रदेश में जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड के साथ निजी कंपनियों द्वारा भी आरईई के खोजबीन का काम किया जा रहा है। प्रदेश में अभी तक सभी प्रकार के खनिजों के एक्सप्लोरेशन के लिए 73 खनिज ब्लॉक दिए गए हैं।

    इन जिलों में की जा रही खोज
    प्रदेश में जिन जिलों में दुर्लभ खनिजों की खोज हो रही है, उनमें बैतूल, बालाघाट, श्योपुर, छतरपुर, झाबुआ, डिंडोरी, सिंगरौली, उमरिया आदि जिले शामिल हैं। फिलहाल खोज के लिए जो ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। वे इन्ही जिलों के तहत आते हैं।

    News Desk

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