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दंतेवाड़ा : जैविक कृषि की नई पहचान श्री विधि और कतार रोपा से खेतों में क्रांति

दंतेवाड़ा, 19 जुलाई 2025

जिला प्रशासन, कृषि विभाग और भूमगादी की संयुक्त पहल से दंतेवाड़ा जिले में जैविक खेती की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। पारंपरिक खेती के विकल्प के रूप में अब श्री विधि, कतार रोपा और जैविक तरीकों को अपनाकर किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़ा जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य जिले को जैविक जिला बनाना है, जहां पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दिया जा सके।

इस अभियान के तहत पहली बार जिले में 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर रोपा, कतार रोपा एवं श्री विधि से खेती का लक्ष्य तय किया गया है। यह पद्धतियां न केवल अधिक उत्पादन दे रही हैं, बल्कि जल संरक्षण, कीट नियंत्रण और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी मददगार साबित हो रही हैं। आज 19 जुलाई 2025 को गीदम विकासखंड के ग्राम हीरानार में इस अभियान की जमीन पर प्रभावी शुरुआत हुई। उपसंचालक कृषि सूरज पंसारी, सहायक संचालक कृषि धीरज बघेल, भोले लाल पैकरा, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी किशन नेताम समेत विभाग के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने कृषक लूदरु राम व अन्य किसानों के खेतों में कतार रोपा पद्धति का प्रायोगिक प्रदर्शन किया। इन प्रयासों के जरिए किसानों को खेत में ही प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जैविक खेती की सफलता की बुनियाद किसानों को सशक्त बनाना है। कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर जैविक खाद निर्माण, बीज उपचार, जैविक कीटनाशक जैसे नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, जीवामृत, घनजीवामृत आदि के उपयोग की जानकारी व्यावहारिक तौर पर दे रहे हैं। ‘देखो और सीखो’ की इस पद्धति से किसानों में व्यवहारिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।

श्री विधि से खेती में जल की बचत, पौधों का बेहतर विकास और उत्पादन में 30-40 प्रतिशत तक वृद्धि देखी जा रही है। वहीं कतार रोपा से पौधों में उचित दूरी रखने के कारण कीट और रोग नियंत्रण आसान हो जाता है। जैविक विधियों के माध्यम से खेती की लागत घट रही है और उपज की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले से मौजूद संसाधनों जैसे गौवंश, वर्मी कंपोस्ट यूनिट और गौठानों कृ का प्रभावी उपयोग करते हुए प्राकृतिक कृषि मॉडल को अपनाया जा रहा है। इससे खेती में आत्मनिर्भरता बढ़ रही है और किसान रासायनिक इनपुट्स पर निर्भर नहीं रह रहे।

इस अभियान में जिले के प्रगतिशील किसान भी आगे आकर भूमिका निभा रहे हैं। वे स्वयं जैविक खेती अपना कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। ‘किसान से किसान तक’ ज्ञान के इस आदान-प्रदान ने अभियान को जन-आंदोलन का रूप देना शुरू कर दिया है। यह पहल सिर्फ उत्पादन और आय में वृद्धि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसरों की दिशा में भी सकारात्मक असर डाल रही है। आने वाले समय में इस मॉडल को जिले की प्रत्येक पंचायत में विस्तारित कर दंतेवाड़ा को एक राष्ट्रीय जैविक मॉडल जिले के रूप में स्थापित करने की योजना है। जिला प्रशासन, कृषि विभाग और भूमगादी की यह साझी कोशिश न केवल खेती को अधिक टिकाऊ और लाभकारी बना रही है, बल्कि जैविक क्रांति के पथ पर अग्रणी भी बना रही है।

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